मौजूदा समय में कुछ देशों में महंगाई दर 40 से 50 साल के हाई पर है. वहीं महंगाई कंट्रोल करने के लिए दुनियाभर के सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में और एग्रेसिव तरीके से बढ़ोतरी करने को मजबूत हो रहे हैं.
Inflation Impact on capital Market: दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर महंगाई का नेगेटिव असर हो रहा है. मौजूदा समय में कुछ देशों में महंगाई दर 40 से 50 साल के हाई पर है. कमोडिटी की कीमतों में आई जोरदार तेजी से महंगाई कई साल में सबसे ज्यादा हो गई है. वहीं महंगाई कंट्रोल करने के लिए दुनियाभर के सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में और एग्रेसिव तरीके से बढ़ोतरी करने को मजबूत हो रहे हैं. इससे इक्विटी मार्केट पर दबाव बढ़ रहा है और अनिश्चितता की स्थिति बन गई है. भारत की बात करें तो कमोडिटी इंपोर्टर होने के नाते यहां महंगाई का असर तो है ही, देश की करंसी भी नीचे जा रही है. ऐसे में निवेशकों को क्या करना चाहिए. इस बारे में Baroda BNP Paribas Mutual Fund के CEO सुरेश सोनी से हमने बातचीत की है. उनका कहना है कि मौजूदा माहौल में निवेशकों के लिए फ्लेक्सी कैप फंड बेहतर विकल्प है.
1. बाजार की मौजूदा हालात देखकर ज्यादातर निवेशकों की चिंता बढ़ गई है. आप इस स्थिति को किस तरह से देख रहे हैं?
इक्विटी मार्केट की बात करें तो यह लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएट करते हैं, यानी यहां लंबी अवधि में अच्छी खासी दौलत बनाई जा सकती है. लेकिन इसके लिए निवेशकों को शॉर्ट टर्म में उतार चढ़ाव का भी सामना करना पड़ता है. कई बार कुछ निगेटिव कारणों से बाजार में गिरावट आती है, लेकिन ऐसा लंबे समय के लिए नहीं होता है.
मौजूदा साल की बात करें जियो पॉलिटिकल टेंशन, महंगाई कई साल के हाई पर पहुंचने, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और आगे मंदी की आशंका के चलते दुनिया भर के शेयर बाजारों में अनिश्चितता पैदा कर दी है. S&P 500 ने 2022 की पहली छमाही में 20.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की है, जो 1970 के बाद से किसी साल की सबसे खराब शुरुआत है. हालांकि भारतीय बाजार में कुछ हद तक फ्लेक्सिबिलिटी दिखी, फिर भी इनमें 10-15 फीसदी गिरावट आई. इसमें कमोडिटी की बढ़ रही कीमतों का असर पड़ा है, लेकिन हाई फ्रीक्वेंसी इंडीकेटर्स मजबूत आर्थिक विकास का लगातार संकेत दे रहे हैं. बीते 1 साल में बाजार में करीब 15 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि कॉर्पोरेट आय में लगभग 20 फीसदी बढ़ोतरी देखने को मिली. इस प्रकार प्रभावी रूप से बाजार के वैल्युएशन में करीब 35 फीसदी की गिरावट आई है. हमारा मानना है कि निवेशकों को अगर इक्विटी में पैसे लगाने हैं तो कम से कम 3 से 5 साल का नजरिया रखें.
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